कुछ दिन पहले मैंने एक वीडियो में ये बात कहीं थीं की जैसे ही वेस्ट बंगाल का इलेक्शन नज़दीक आएगा जितनी भी राजनीतिक पार्टियां हैं सब एक्टिव हो जाएंगी.सुशांत के फेन्स को लुभाने के लिए तरह तरह की खेल रचे जायेंगे. और वही चीज़ होनी शुरू हो चुकी हैं.
खबर ये आ रही हैं की मोदी सरकार सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर किसी नेशनल अवार्ड का सुझाव रख रही हैं. यानी सुशांत के नाम पर बॉलीवुड के उन कलाकारों को अवार्ड दिया जायेगा जो सुशांत को ही नज़रअंदाज़ कर रहे थे. ना जाने किस किस तरह का खेल खेला जा रहा था.
लेकिन सबसे बड़ी बात ये हैं की इस तरह के अवार्ड का कोई मतलब नहीं हैं. किसी की ज़िंदगी चली गयी उसका परिवार इन्साफ की मांग कर रहा हैं वो तो उसे मिल नहीं रहा हैं बल्कि उसके परिवार को और भी बदनाम करने की हर संभव कोशिश हो रही हैं. और ऐसे में दूसरे कलाकारों को सम्मान देकर क्या सुशांत की फॅमिली और उनके चाहनेवालों को इंसाफ मिल जायेगा.
अभी दादासाहेब फाल्के फिल्म फेसिटवल में सुशांत को सम्मान दिया गया दिल बेचारा के लिए. लेकिन जब सुशांत ज़िंदा थे तब सुशांत को एम् इस धोनी फिल्म में एक बेहतरीन अभिनय के लिए कोई अवार्ड क्यों नहीं मिला. उस फिल्म के लिए सिर्फ स्क्रीन अवार्ड्स दिया गया जबकि फिल्म फेयर, ज़ी सिने अवार्ड्स और स्टार डस्ट में नॉमिनेट किया गया.
सुशांत अब इस दुनिया में नहीं हैं. अब उन्हें नेशनल अवार्ड दो, ऑस्कर दो उनके नाम पर फिल्म स्टूडियो बना दो इसका कोई मतलब नहीं हैं. अगर कुछ देना हैं तो सुशांत को साहित्य मायने में इंसाफ की ज़रूरत हैं जो मिल ही नहीं रहा हैं.