पत्रकारिता जगत में राजदीप सरदेसाई वो कलंकित पत्रकार हैं जो हर बार नए नए तरीके से खुद का मुँह काला करता हैं. गलत का साथ देना. झूठी खबर परोसकर और भी नफरत फैलाना. चाहे वो सिचुएशन कुछ भी हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब दोबारा से 2019 में जीतकर आये तब अमेरिका में मोदी को बदनाम करने की साज़िश कर रहा था लेकिन मोदी समर्थकों ने इसे जमकर कूटा. उसके बाद दिल्ली दंगे में ये आम जनता के बीच जाकर हिन्दू मुस्लिम दंगे को और भी अधिक भड़काना चाहता था. जनता के मुँह से ये निकलवाने की कोशिश करवा रहा था की जनता कुछ बोले और मुझे मसाला मिले लेकिन वहा भी जनता के इसके मुँह पर तमाचा मार दिया.
फिर रिहा चक्रबोर्ती का बेशर्मी के साथ इंटरव्यू लेकर उसकी इमेज को चमकाने का काम करना. सुशांत को इसी ने कहा था की सुशांत एक आम इंसान हैं उसकी मौत पर इतना हंगामा क्यों हैं. सुशांत की मौत को छोड़कर अब सरकार को देश हित में सोचना चाहिए. सुशांत की मौत को सर्कस बना दिया हैं.
और अब कल किसान आंदोलन के नाम पर जिस तरह से दिल्ली में उत्पात मचाया गया. जिसके एक व्यक्ति की मौत हो गयी. उसकी मौत ट्रैक्टर पलटने से हुयी थीं लेकिन राजदीप ने ट्वीट किया की उसकी मौत पुलिस की गोली लगने से हुयी हैं. पहली बात अगर पुलिस कल गोलियां चलाती ना तो 300 पोलिसवाले आज अस्पताल में ना पड़े होते. शायद उन प्रदर्शनकारियों की मौत होती. और ना तिरंगे को हटाकर कोई और झंडा लगाया जाता.
जब इस चोर की चोरी पकड़ी गयी तब इसने ये कह दिया की किसान झूट बोल रहे थे अब पोस्ट मार्टम के बाद पता चलेगा की मौत कैसे हुयी. तो इस तरह के पत्रकारों पर भी देशद्रोह का केस लगाकर अंदर डाल देना चाहिए. ऐसे दलाल पत्रकार जो झूट फैलाकर सब कुछ हासिल कर लेते हैं. यहाँ तक की कांग्रेस के राज्य में पदमश्री जैसा सम्मान भी. जो ये डिज़र्व भी नहीं करता हैं.