लव जिहाद, ज़मीन जिहाद, जनसँख्या जिहाद, शिक्षा जिहाद, इतिहास जिहाद, मीडिया जिहाद, फिल्म जिहाद की अपार सफलता के बाद पेश हैं क्रिकेट जिहाद .
अचानक से जब कोई इंसान मीडिया में दिन रात दिखाई पड़ने लगे तो समझ जाओ की कुछ तो गड़बड़ हैं. चाहे वो करीना खान का बेटा तैमूर हो या फिर करोडो की प्रॉपर्टी बनाने वाला फर्जी किसान नेता राकेश टिकैत. अब कुछ दिन से पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर मीडिया में कुछ ज़्यादा ही नज़र आने लगे थे. एक ट्वीट किया नहीं की तुरंत मीडिया ने उस चीज़ को छाप दिया.
वैसे आपकी जानकारी की बात दूँ की वसीम जाफर का डोमेस्टी क्रिकेट रिकॉर्ड ही बढ़िया हैं. बाकी इंटरनेशनल क्रिकेट में तो बस लूटिया डुबाने का काम किया हैं. तो भाई साब पर इलज़ाम लगा हैं की ये उत्तरखंड क्रिकेट के ज़रिये क्रिकेट जिहाद फैलाने का काम कर रहे थे. अब रिटायर हुए तो इन्हे उत्तरखंड क्रिकेट टीम का कोच बना दिया गया.
कोच बनते ही अपनी गंदी सोच ये खिलाड़ियों पर लादने लगे. उत्तरखंड क्रिकेट की असली टीम में जो खिलाडी होने चाहिए थे उनमे से कुछ खिलाड़ियों को निकालकर बाहर से तीन खिलाडी लेकर चले आएं जिसमे इकबाल अब्दुल्ला, समद सल्ला, जय बिस्टा शामिल थे. कुणाल चंदेला जो एक बढ़िया खिलाडी हैं उन्हें कप्तानी से हटाकर बाहर से आये इक़बाल अब्दुल्ला को कप्तान बना दिया और कुणाल चंदेला को नीचे की पायदान पर बैटिंग के लिए भेज दिया ताकि उनकी परफॉरमेंस और ख़राब हो जाएं.
सिर्फ इतना ही नहीं वसीम जाफर ने नमाज पढ़वाने के लिए मौलवी तक को दो बार क्रिकेट ग्राउंड पर बुला लिया. हालाँकि वो इस बात से इंकार कर रहे हैं की मैंने नहीं बल्कि इक़बाल अब्दुल्ला ने बुलाया था. तो भाई तुम कोच हो और तुम्हारी परमिसन के बिना इक़बाल अब्दुल्ला ने ऐसा कैसे किया.
जबकि इसी वसीम जाफर को क्रिकटर उत्तरखंड के स्लोगन ‘राम भक्त हनुमान की जय’ से प्रॉब्लम हैं. बोलते हैं की इस टीम में बाकी धर्म के खिलाड़ी भी हैं तो ये चीज़ ठीक नहीं हैं. बाकी खिलाड़ियों को बुरा लगता हैं. फिर उत्तराखंड क्रिकेट ने नया स्लोगन बताया की ठीक है तो नया स्लोगन होगा ‘उत्तराखंड की जय’. लेकिन वसीम जाफर को इससे भी प्रॉब्लम हैं. की जय शब्द नहीं बोलना चाहिए. बाद में जाकर वसीम जाफर ने इसका नारा जो उत्तराखंड कर दिया.
मतलब सोच लीजिये की जो नारा ‘राम भक्त हनुमान की जय’ ना जाने कितने ही सालों से खिलाड़ी बोलते चले आ रहे थे उसे तुम दो दिन में आकर बदलने की बात करते हो. जाफर का कहना हैं की अगर मैं ऐसी सोच रखता तो अल्लाह हु अकबर के नारे लगवाता. लेकिन भाई साब ने पहले ही साफ़ कर दिया की जब राम भक्त हनुमान की जय’ से प्रॉब्लम हैं तो अल्लाह हु अकबर कैसे लागू करवाते इसलिए स्लोगन ही बदल दिया.
वसीम जाफर एक फ्लॉप क्रिकटर जिसे उत्तराखंड क्रिकेट ने कोच के लिए 45 लाख रूपये दिए थे और वो वहा पर मदरसा खोलने की प्लानिंग कर रहे थे. ये नया नहीं हैं. जब किसान आंदोलन को लेकर रिहाना, मिया खलीफा और ग्रेटा थन्बर्ग भारत विरोधी बातें कर रहे थे तो सचिन, विराट, युवराज, कुंबले, रोहित सब इंडिया को एक करने की बात कर रहे थे लेकिन वही इरफ़ान पठान मिया खलीफा का सपोर्ट करते नज़र आएं.