भारत सरकार हर साल बजट पेश करती हैं. समझ में किसी को कुछ नहीं आता लेकिन एक दिन के लिए हम सभी एक्सपर्ट ज़रूर बन जाते हैं की ये होना चाहिए था वो होना चाहिए था. यहाँ खुद को समझने में पूरी ज़िंदगी निकल जाती हैं बजट क्या ख़ाक समझे ! बजट समझने के एक ही तरीका हैं बजट का फायदा समझना हैं तो ज़ी न्यूज़ वाले सुधीर चौधरी को सुन लो और बजट का नुक्सान समझना हैं तो एनडीटीवी वाले रविश कुमार को सुन लो. दो मिनट में अर्थशास्त्री बन जाओगे.
तो बात बॉलीवुड और बजट की करते हैं. बॉलीवुड जो हैं वो इस बजट से खुश नहीं हैं. बॉलीवुड का ऐसा कहना हैं की कोरोना के चलते हमारी बैंड बाजी हुई हैं. मनोरंजन जगत के लिए 2021-2022 के बजट में कुछ भी नहीं था. भारतीय मनोरंजन उद्योग देश में सबसे ज्यादा टैक्स चुकाता है लेकिन इस बार के बजट में उसे कुछ नहीं मिला.
भैया टैक्स तो मिडिल क्लास भी बहुत चुकाता है लेकिन आज तक मिडिल क्लास के लिए किसी ने सोचा हैं. तो एक साल अगर मनोरंजन जगत के लिए कुछ नहीं सोचा तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वैसे भी मनोरंजन जगत का हो हाल पिछले साल था वही इस साल भी रहेगा और अगले साल तक बना रहेगा.
बॉलीवुड में जैसे सोनाक्षी सिन्हा दिन भर केंद्र की नीतियों को कोसती रहती हैं ठीक वैसे ही उनके पापा शत्रुघ्न सिन्हा हैं उनका ये कहना हैं की “यह एक बहुत ही स्मार्ट बजट है, जिसमें उस स्रोत या संसाधन का ज़िक्र नहीं किया गया जहां से पैसा निकाला जाएगा. देश के उत्तरी क्षेत्र की हमारी बहनों के लिए बहुत से लंबे वादे किए गए थे, लेकिन बजट में कुछ भी प्रतिबिंबित नहीं हुआ. इसमें मेरे गृह राज्य बिहार को एक तिहाई भी नहीं मिला. बजट को लेकर उन्होंने तो गाना भी गा डाला- ‘कसमें वादे प्यार वफा सब वादें हैं वादों का क्या…’
उन्होंने ये भी कहा की “केंद्र ने सिनेमाघरों को 100 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी है, इसे लेकर पहले ही राज्यों के साथ टकराव की स्थिति बनी हुई है. यह राज्य सरकारों पर निर्भर करता है कि वह 100 प्रतिशत क्षमता के साथ सिनेमाघरों को खोलेंगे या फिर 50 प्रतिशत पर यूं ही चलने देंगे. अगर ऐसे ही जारी रहा तो नहाएंगे क्या और निचोड़ेंगे क्या.
सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी का कहना है कि इस बजट में फिल्म उद्योग को कुछ नहीं मिला है. मनोरंजन जगत ने कोरोनावायरस महामारी के कारण काफी नुकसान झेला है. ऐसे में सरकार को 3 साल तक पूर्ण रूप से जीएसटी माफ कर देनी चाहिए. निहलानी का यह भी कहना है कि फिल्म जगत के जुड़े लोगों की जेब पर कोरोना के कारण काफी असर पड़ा है, इसलिए उनके टैक्स को तबतक के लिए माफ किया जाना चाहिए, जब तक कि स्थिति पहले जैसी नहीं हो जाती है. उन्होंने बिजली के बिल माफ करने और प्रदर्शनी सेक्टर (Exhibition Sector) को भी राहत देने की मांग सरकार से की है.
फिल्म इंडसट्री ठीक है भाई टैक्स देती हैं. टैक्स तो इस देश के करोडो लोग देते हैं. करोडो की संख्या में छोटे मोठे व्यापारी भी टैक्स भरते हैं तो फिर उनका भी टैक्स माफ़ कर देना चाहिए क्यूंकि नुक्सान तो उन्हें भी हुआ हैं. किसी की नौकरी गयी. किसी का बिजनेस बंद हो गया. स्कूल फीस, बिजली का बिल, राशन, गैस, इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स इन सब का भार आम आदमी कैसे चूका रहा हैं.
जब आम आदमी इस भार को सहन कर सकता हैं तो मनोरंजन जगत के पास तो वैसे भी पैसे की कोई कमी नहीं हैं. तो कुछ लोगो को हर चीज़ में बस रोने की आदत हो चुकी हैं. बॉलीवुड से अगर शत्रुघ्न सिन्हा नहीं रोते तो उनकी जगह स्वरा भास्कर, तापसी पन्नू, रिहा चड्ढा, ज़ीशान अयूब, अनुराग कश्यप ये लोग रोने का काम कर लेते हैं. इस काम में तो इन्हे अब महारथ हांसिल हो चुकी हैं.