ज़िंदगी में कभी किसी चीज़ का घमंड नहीं करना चाहिए. क्यूंकि जो आज तेरा हैं कल किसी और का हो जायेगा ! फिर तुम्हें याद आएगी अपने उस दौर का वो घमंडीपन जिसके दम पर तुम बेवज़ह इतराते थे. फिल्म इंडस्ट्री में कादर खान साब जैसा कोई नहीं आ सकता हैं. एक उम्दा कलाकार, लेखक, डायलॉग राइटर, हास्य कलाकार. अपने डायलॉग को इस तरीके से बोलना की जैसे वो आपकी ज़िंदगी को आईने दिखाने का काम कर रहे हो. जब वो हंसाते तो आप अपनी हंसी रोक नहीं पाते और जब रुलाते तो आपके आँखों से आंसू रूक नहीं पाते.
कादर खान साब एक सीनियर अभिनेता थे लेकिन ज़िंदगी भर उन्हें कई चीज़ों का मलाल रहा. उसमे एक बात वो थीं की अमिताभ बच्चन जो कभी उनके अच्छे मित्र हुआ करते थे. एक समय ऐसा आया की कादर खान ने अमिताभ बच्चन से दुरी बना ली थीं. वजह ऐसी थीं की अमिताभ को अपने ऊपर काफी घमंड हो गया था. उस दौर में वो हर किसी को यही कहते थे की मुझे सर बोला करो. और यही उम्मीद वो कादर खान से भी करते थे. किसी रोज़ जब अमिताभ बच्चन के स्टाफ ने शूटिंग के दौरान कादर खान से ये कहा की उन्हें सर जी बोले करो तो ये बात कादर खान को थोड़ी अटपटी सी लगी. उन्होंने कहा मैं तो उसे अमित ही बुलाऊंगा अगर उसे पसंद नहीं तो किस बात की दोस्ती. क्यूंकि दोस्ती में सर जी नहीं कहा जाता हैं.
अमिताभ का ये घमंड उस समय था जब वो फिल्मों में सफल थे और राजनीती में भी एक जीत हांसिल करके आये थे. लेकिन वक्त बदला और उनका स्टारडम डूब गया. उनका नाम’ बोफोर्स घोटाले’ में सामने आया. कांग्रेस सी उनकी दुरी बनी और राजनीती को अंततः अलविदा कह दिया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थीं. अब उनके पास ना तो काम था और ना कोई पहचान. क्यूंकि उन्होंने जिस कंपनी की शुरुवात की थीं एबीसीएल वो 250 करोड़ के क़र्ज़ तले दब गयी. रोज़ उनके घर के बाहर कर्जदार लाइन लगाया करते थे. एक वक्त ऐसा भी आया जब अमिताभ ने अपना जुहू वाला बँगला ‘प्रतीक्षा’ को बेचने का मूड बना लिया.
लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ की वो काम मांगने के लिए यश चोपड़ा के घर पर गए और फिर उन्हें मोहब्बतें मिली. जो काफी सफल रही. और यही दौर था जब शूटिंग के दौरान अमिताभ को उनकी असली औकात पता चल गयी. जब मोहबतें के सेट पर लोग अमिताभ के पास कम नज़र आते और शाहरुख़ के पास कुछ ज़्यादा. लोग शाहरुख़ को सर जी बुलाते थे. उस दिन अमिताभ को इस बात का आभास हो गया की अब वो सर जी नहीं एक आम कलाकार रह गए हैं.
कांग्रेस से दूरी के बाद अमिताभ की नज़दीकी समाजवादी पार्टी से हो गयी. अमिताभ को संकट से उबारने में अमर सिंह का काफी हाथ रहा था. अमर सिंह के कहने पर अमिताभ को कई जगह काम मिला और उनके अच्छी दिन लौट गए. लेकिन अमिताभ ने यहाँ भी धोखा किया. अच्छी दिन लौटते ही अमर सिंह से दुरी बना ली. और यही वजह हैं की लोग अमिताभ बच्चन को घमंडी और स्वार्थी कहते हैं.
अमर सिंह ने एक इंटरव्यू में भी यह बात कहीं थीं की अमिताभ बच्चन मोहब्बतें की शूटिंग समाप्त कर जब शाम को उनसे मिलते तो उनके कंधे पर अपना सर रख के रोते थे की अब लोग उन्हें सर जी नाह बुलाते और ना ही उनके पास उतना आते हैं. फिल्म सेट पर सभी शाहरुख़ खान को ही सर जी बुलाते हैं.
तो बात यही हैं की कभी गाडी पर नाव तो कभी नाव पर गाड़ी. ज़िंदगी में इतना घमंड ना करो की तुम्हरे बुरे वक्त में लोग तुम्हे भूल जाएं. वैसे अमिताभ के अच्छे दिन फिर से लौट आएं. लेकिन सुशांत सिंह राजपूत के मामले में उनकी चुप्पी और जया बच्चन का थाली में छेद वाला मुद्दा उनकी लुटिया बुढ़ापे में डुबाने का काम कर रहा हैं. अर्थात जवानी में बनी बनाई इज्जत बुढ़ापे में लूट रही हैं वो भी कौड़ियों के भाव में.