इस वीडियो को ध्यान से देखना. शायद देखना ज़रूरी भी हैं. अगर आप वाकई अपने परिवार को प्यार करते हैं तो वरना वीडियो स्किप करो और निकल जाओ. अपनी बेवकूफी दिखा देना. ठीक लगे तो कमेंट करना.
कोरोना ने ये सीखा दिया की हम इंसान के तौर पर दुनिया की सबसे बड़ी बेवक़ूफ़ प्रजाति हैं. कोरोना से ज़्यादातर मौतें कैसे हुयी और आगे कैसे होंगी और इसका जिम्मेदार कौन होगा वो इस वीडियो में देख लीजिये.
पहले लहर में हर किसी को डर था कोई किसी से कांटेक्ट में नहीं था. हर किसी को डर था की इस इंसान से मिला तो कहीं कोरोना ना हो जाएं. अपने खुद के घर में उस दौरान किसी को सर्दी खांसी हो जाती थीं तो घरवाले डर जाते थे की कहीं इसे कोरोना तो नहीं हो गया.
पहली लहर खतम होते होते लोगो का डर ख़तम हो गया. क्यों ? घर में कैद थे भाई. खुली हवा में घूमना हैं. नतीजा क्या हुआ. दूसरी लहर आ गयी. इस दूसरी लहर में अनगिनत मौते हो गयी. जिसके घर सुनो वही कोरोना का शिकार. मेरे खुद के कई दोस्तों और करीबियों की मौत हो गयी.
और इसका जिम्मेदार हम किसे बता रहे थे अपनी अपनी सरकारों को. को राज्य सरकार को जिम्मेदार बता रहा था तो कोई केंद्र सरकार को. लेकिन रियलिटी ये हैं की जिम्मेदार हम खुद थे और आगे भी रहेंगे.
सरकार के लिए आप सिर्फ एक आंकड़ा हो एक डाटा हो जिसकी वैल्यू सिर्फ चुनाव के दौरान होती हैं. वरना आपके जीने मरने से किसी को फर्क नहीं पड़ता. दूसरी लहर अभी ख़त्म नहीं हुयी बस थोड़ी सी कम हो गयी. लेकिन उसके बाद क्या हो रहा हैं.
कोई मनाली घूम रहा. कोई गोवा घूम रहा. लाखो की भीड़ जमाकर. इस समाज के पढ़े लिखे बेवक़ूफ़ लोग. जो शायद बड़े बड़े कॉर्पोरेट ऑफिसेस में लाखो कमाते हैं लेकिन दिमाग के मामले में एकदम गधे हैं.
आधे से ज़्यादा लोग अपने अपने धार्मिक त्योहारों को लेकर इमोशनल हो जाते हैं. भाई ज़िंदगी रहेगी तो हर रोज़ त्यौहार होगा. नहीं होगी तो हर रोज़ सिर्फ घरो में मातम होगा.इन सभी के ज़िम्मेदार आप होंगे. इसमें कोई हिन्दू मुस्लिम सीखा ईसाई जिम्मेदार नहीं. क्यूंकि बेवक़ूफ़ प्रजाति हर धर्म में हैं.
कुछ दिन पहले बकरीद थीं. लोगो ने मनाया. बाजारों में भीड़ थीं. उसके बाद कोरोना और मौत के मामले अचानक से बढ़ गए. अब इस महीने से कई त्यौहार आ रहे हैं. जिसमे रक्षाबंधन को लेकर कई लोग बहुत भयंकर लेवल पर पागल हैं. रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन की रक्षा के लिए होता हैं. लेकिन सोचो जब आप भीड़ भाड़ वाली ट्रैन में ट्रेवल कर एक राज्य से दूसरे राज्य जाओगे. भीड़ भरी बसों में जाओगे तो अपने साथ कोरोना लेकर जाओगे.
और जहा जाओगे हो सकता हैं की आप बच जाओगे लेकिन जिसके घर जाओगे अगर आपकी गलती के कहते उस परिवार को कोरोना हुआ और किसी की मौत हो गयी तो जिम्मेदार कौन होगा. आप तो दांत निकलकर हँसते हुए कह दोगे. इनकी इतनी ही ज़िंदगी लिखी थीं. हादसे तो होते रहते हैं.
ये हादसा नहीं आपकी बेवकूफी और आपका वो घमंड हैं जिसके चलते उस परिवार में मौत हो गयी. हो सकता राखी बाँधने की जगह आप सामनेवाले परिवार के घर कफ़न बांधने का इंतेज़ाम करने जा रहे हो.
लॉक डाउन खुलने का मलतब ये नहीं हैं की कोरोना चला गया. आप छुट्टी मानाने जा रहे हो तो कोरोना भी छुट्टी पर चला गया. ये भी ज़रूरी नहीं हैं की आपने वैक्सीन की दोनों डोज़ लेकर रखी हैं तो आपको कुछ नहीं होगा. या आपके चलते किसी को कुछ नहीं होगा. कुछ लोगो ने तो वैक्सीन लगने के बाद खुद को सुपरमैन साबित कर दिया हैं.
आपने वैक्सीन ली हैं.. समुन्द्र मंथन से निकला अमृत नहीं पीया जो आपको आजीवन मरने नहीं देगा. आप इंसान हो समझदार बनो. समझदारी दिखाओ. अपने आप को गधा मत साबित करो. वैसे गधा भी समझदार होता हैं बस वफादारी से अपना काम करता हैं बीन कोई शिकायत किये.
अब देखो मौत कैसे कैसे हो गयी. मेरे एक दोस्त के घर दूधवाला हर रोज़ आता था. घरवाले मास्क लगाकर रखते थे. लेकिन दूधवाले को कोरोना निकला जिस बर्तन को उसने टच किया उसके चलते पूरे फॅमिली को कोरोना हो गया. मेरे करीबी दोस्त की मौत हो गयी. ये दुःख सिर्फ वही समझ सकते हैं. की इतनी सावधानी रखने के बाद ये हादसा हो गया.
मेरे एक और करीबी मित्र. उनकी बहन के घर बीन बुलाया उनकी बुवा का लड़का पहुंच गया जबकि वो मना कर रहे थे की कोरोना है अभी मत आओ. लेकिन हुआ क्या. वो तो निकल गया. उसे कोरोना हुआ वो बच गया किसी तरह लेकिन दोस्त की बहन और जीजा को कोरोना दे गया. लाखो रूपये खर्च हो गए लेकिन दोनों नहीं बच सकें. अब उनके दो छोटे बच्चो की जिम्मेदारी कौन लेगा वो तो अनाथ हो गए.
ऐसी कई रिश्तेदार हैं जो आपके ना चाहते हुए भी आपकी मर्जी के खिलाफ किसी ना किसी बहाने आपके घर पर आएंगे और अपने साथ आपकी मौत का कफ़न लेकर आएंगे. उनकी नादानी और बेवकूफी आपके पूरे परिवार पर भारी पड़ेगी. वो सिर्फ अपने भीतर का जो घमंड है उसे पूरा करने के लिए आपकी चिता जलाने के लिए बेहद उत्सुक हैं.
कल को कोरोना से मेरी मौत हो जाये तो मेरे उन रिश्तेदारों को ही दोष देना. आपके भी कई रिश्तेदार हैं. अगर एक उम्र के पड़ाव पर आकर भी आपके भीतर समझदारी नहीं हैं तो दुनिया में आपसे बड़ा बेवक़ूफ़, ज़ाहिल और गंवार कोई नहीं हैं. क्यों ? क्यूंकि आपकी बेवकूफी किसी पर भरी पड़ सकती हैं.
बात यहाँ पर किसी त्यौहार या धर्म को टारगेट करने की नहीं हैं और करना भी नहीं चाहिए. यहाँ बस हर कोई अपना अपना स्वार्थ साधने में लगा हैं जिसकी कीमत कोई और चुका रहा हैं. तो आपको लगता हैं की आप दो साल से घर में सुरक्षित हैं. आपने मास्क, सोशल डिस्टन्सिंग, सेनेटाइजर सब इस्तेमाल किया तो आप जगरूक और समझदार हैं. लेकिन आपके रिश्तेदार आपकी कब्र खोदने की और चिता में आग लगाने की तैयारी कर चुके हैं.